सुरज पाटील यह नाम टेनिस क्रिकेट और लेदर क्रिकेटके विश्वमे रायगड जिलेमे अष्टपैलू खिलाडीयोंमे लिया जाता है. आंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मे बहुतसे खिलाडी अपने कारकीर्द कि शुरुआत गेंदबाजसे करते है परंतु बादमे वही खिलाडी सर्वोत्कृष्ट बल्लेबाज जाने जाते है. यही कुछ कहा जा सकता है सुरज पाटीलके विषय मे.
सुरज जब ५ वी कक्षा मे था तब उसका क्षेत्ररक्षण देखकर पाठशालाके संघ व्यवस्थापकोंने उसे क्षेत्ररक्षक के पद के लिये चून लिया. लेकीन एक दिन अचानक उसके संघके कर्णधारने उसे गेंदबाजी करने के लिये कहा. और वहीसेही सुरज कि गेंदबाजीको शुरुवात हुई और उसने इस मौकेका फायदा उठाते हुये पीछे मुडकर नही देखा. इतनाही नही सुरज ने अपने कर्णधारका भरोसा बरकरार रखते हुये तब्बल ४ बल्लेबाजोंको आउट किया. इसके बाद संघ मे सुरज कं स्थान बल्लेबाज और आखिरी फलंदाज ऐसे रखा गया.आई हुई संधी का सदुपयोग करने कि क्षमता सुरज मे है और उसने वह बहुत बार साबित करके दिखाया है.
ऐसीही एक बल्लेबाजी कि संधी सूरजको एक प्रॅक्टिस मॅचके दौरान उपलब्ध हुई और इस संधी का सोना करते हुये सुरजने ५४ रन्स बनाये और तबसे वह अपने टीम मे भरोसेका गेंदबाज और सलामी बल्लेबाज बन गया.
आंतरशालेय स्पर्धांमे सुरज ने हमेशा अष्टपैलू कामगिरी कर कर अपने टीमको विजय प्राप्त कर दिया है. और तभीसे सुरज का क्रिकेट कारकीर्दका आलेख उंचाई पर जाने लगा. इसके बाद उसने लगातार रायगड जिलेके U-19 टीम का प्रतिनिधित्व किया.
रायगड जिलेके ओपन टीम मे चुने जाने के लिये एक क्रिकेट प्रतियोगिता रखी गई थी, तब सुरजने ९ सामनोमेसे ७ सामनोंमे अर्धशतक किया था. और २१ गडी बाद कर कर अपना अष्टपैलुत्व सिद्ध किया. इसके बाद वह रायगड जिलेके लिये 6 बार खेला. सुपर लीग क्रिकेट स्पर्धामे उसने रायगड जिले का 2 बार कर्णधारपद एवं ३ बार उप कर्णधारपद निभाया.
रणजी चुनाव के स्पर्धामे अपने जिलेकं प्रतिनिधित्व करतेवक्त सुरजने दमदार ३ शतक और ४ अर्धशतक बनाए. पश्चिम महाराष्ट्र संघ मे सुरजको दो बार चुना गया. परंतु इंजिनियरिंग कि परीक्षा के कारण वह वाहा खेल नही सका.
टाईम्स शिल्ड स्पर्धामे सुरज ने अपना जलवा दिखाया. अबतक Club XI क्रिकेट स्पर्धामे उसने 40 अर्धशतक और 2 शतक ठोके. सन २००० मे मुंबई विद्यापीठ टीममे उसका चुनाव कर लिया गया.
एकबार सुरज अपने स्थानिक टीमसे खेल रहा था, तक्रीबन २०००-०१ साल कि बात है, उसके सामने थी रायगड जिले की सबसे अव्वल टीम “सिद्धिविनायक कोलगाव” (बहुतसे रायगड और मुंबई के जानेमाने बल्लेबजो ने इस टीम कं प्रतिनिधित्व किया है ). सिद्धिविनायक कोलगाव को आखिरी ओवर मै जितने के लिये सिर्फ १ रन कि जरुरत थी. सुरज के हात मे गेंड थमा दि गई थी और सुरज ने निर्धाव शतक डालकर अपने टीम को विजय प्राप्त करा दिया. असल मे इस घटना से सुरज कि टेनिस क्रिकेट करिअर का उगम हुआ. अलिबाग कि बेहतरीन टीम Cocktail के कर्णधार ने सुरज कि गेंदबाजी देखकर उसे अपने टीम मे शामिल किया.
लेदर क्रिकेट कि तरह टेनिस क्रिकेट विश्वमे भी सुरज ने अपने गेंदबाजी और बाल्लेलाजी का अच्छा प्रदर्शन किया. और तबसे सुरज “अलिबाग एक्सप्रेस” के नाम से टेनिस क्रिकेट विश्वमे प्रसिद्ध हुवा.
देखा जाये तो सुरज अलिबाग के बहुतसे नामांकित टीम मे से खेला है. फिलहाल सुरज अलिबाग मे Kuber XI टीम से खेलता है और बाहरी प्रतियोगिता मै Royal Kalmboli टीम का प्रतिनिधित्व करता है.
इस साल अलिबाग के मांडावा इलाके मे ली गई प्रतियोगिता मे ८ गेंदोंन्मे ८ बाल्लेबाजोंको आउट कर वापस भेज दिया.
इस साल परहूर मे अलिबाग के बेहतरीन संघ “Sasvane” के विरुद्ध खेलते हुये सुरज ने ११ गेंद मे ५४ रन्स बनाए.
सुरज ने आज तक चार बार सामने वाली टीम को जीत के लिये १ रन कि जरुरत होते हुए निर्धाव शतक डालकर अपनी टीम को विजय मिलवा दिया है. इतनाही नही तो उसने आज तक़ ४ बार सारे बक्षीस याने के Man of the Match, Man of the series, Best Batsman, Best Bowler जिती है.
आज तक़ उसने तक़्रिबन ५१० ट्रॉफी अपने नाम कि है.
सुरज के शुरुवाती काल मे उसके स्कूलके प्रशिक्षक श्याम कुले यांनी बहुत किमती भूमिका बजाई.
लेदर क्रिकेट मे क्षेत्ररक्षक बनकर शुरू किए हुए सुरज ने अपने टेनिस क्रिकेट करियर मे बहुतही दैदिप्यमान कामगिरी कर कर रायगड जिले मे सर्वोत्कृष्ट लेदर और टेनिस क्रिकेट होने का बहुमान प्राप्त लिया है. .